जग में नहीं कोई ऐसा मेरे गुरूवर जैसा




 जग में नहीं कोई ऐसा मेरे गुरूवर जैसा
ज्ञान भरे गुरू ऐसा फिर सुख दुख कैसा
जय बापू आसाराम, तेरी शरण सुख धाम

 धरती अंबर इनसे महके
इनको थाम के हम न बहके
जो इनको ज्ञान है सुनता पावन हो जाता
बिन मॉंगे इनसे वो है सब कुछ पाता

 गुरू ही देते ऊँची मति है
इनके बिन न होती गति है
इनके वचनों को जो भी जीवन में लाता
वो पथ की बाधाओं से कभी न घबराता

  इनकी आज्ञा में ही जियु मैं
इनकी सेवा करता रहूँ  मैं
इनसे लग जाए लगन जो फिर कुछ नहीं भाता
इनकी भक्ति के जैसा सुख नजर न आता

 सुख दुख से तो पार गुरू हैं
इनसे दुनिया होती गुरू है
यही सूरज चॉंद सितारे सब इनमें समाता
इनसे ही सारे नजारे ही यही विधाता

 इनकी राह पे जो भी चलते
अंगारे उन्‍हें शीतल लगते
यही धर्म ज्ञान, मुक्ति और शांति के दाता
वही धन्‍य है जो श्रद्धा से इनको है ध्‍याता

 ज्‍योति श्रुति का पुंज यही है
इनसा कोई और नहीं है
इनसे जो जोड़ा हमने वो अटल है नाता
यही साथ सदा है निभाये यही पिता व माता

 दया क्षमा और प्रेम की मूरत
कितनी मोहक इनकी सूरत
इन्‍हें देख देख के सबका है मन हर्षाता
इनका ही ज्ञान हम सबका जीवन म‍हकाता

 इनको ही तन मन में बसाऊं 
इनके ही गुणगान मैं गाऊं 
जो इनकी सेवा है करता ज्ञोली वो भरता
यही ईष्‍ट है रब है हमारे यही पालनकर्ता

 बढती रहे तेरे ज्ञान में रूचि
तुम बिन (अब) कोई आस न दूजी

 तुम ही पूर्ण ब्रम्‍ह के ज्ञानी
तुम संग ही अब प्रीत निभानी

 गुरू चरणों का जो अनुरागी
उसकी कुमति सहज ही भागी

 तुम बिन कोई चाह न बाकी
हृदय बसा दो अपनी ये झॉंकी

 हम दाता हैं शरण तुम्‍हारी
तेरे हवाले डोरी हमारी

 तुम रक्षक हो संकटहारी
तुझमें है बसती दुनियॉं हमारी

    तू दाता सब लोक का स्‍वामी
घट-घट व्‍यापक अंतर्यामी

  नाम में तेरे अजब है मस्‍ती
मिट जाती है झूठी ये हस्‍ती

 तू ही ईश्‍वर हम हैं पुजारी
तू ही भक्ति पूजा हमारी

 तेरे दिल में करूणा घनेरी
कितनी मधुर है वाणी तेरी

 तेरी भक्ति महा सुखदायी
भक्‍तों के तुम सदा सहाई
 तेरी प्रीति सबसे अमौलिक
तेरी कृपा तो है ये आलौकिक

 इन नैनों में आन बसो अब
तुम अर्पित तन मन है सब

 धन्‍य जिव्‍हा जो गुण तेरे गाती
धन्‍य वो दृष्टि दर्श जो पाती

 शरणागत के तुम दुखहारी
तुम सम दूजा न हितकारी

 कॉंटों में भी पुष्‍प खिलाते
ज्ञान की गंगा तुम हो बहाते
 जिसपे कृपा तेरी होती
वो पाता भक्ति के मोती
 जन्‍म-जन्‍म की तृष्‍णा मिटाते
मार्ग के संकट तुम हो हटाते

 हमको सहारा बस है तुम्‍हारा
तुमपे आधारित जीवन सारा

 तुमको हम क्‍या भेंट चढ़ाऍं
बस चरणों में शीश नवाऍं

 यही चाहता है दिल ये हमारा
छूटे न कभी साथ तुम्‍हारा

 तेरी करूणा सब पे बरसे
तेरे प्रेम को हर कोई तरसे

 जो कोई तुमसे लगन लगाता
फिर न बाकी कुछ रह जाता

करते पूर्णकाम, तू ही सुबह तू ही शाम
देते हमें विश्राम, तुमको हमारे प्रणाम

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