गुरु ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश है


गुरु ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश है 


साधकों के लिए बस गुरु ही विशेष है 
सारे विषयों को गुरुवर ने मारा ......

गुरुशरण ही है सुखकारी
गुरु सम है ना हितकारी 
गुरुवर से अधिक कोई न प्यारा .......

गुरुचरणों को जो भी है ध्याये 
आत्मविश्रांति है वो भक्त पाये 
गुरु देते है प्रेम अपारा........

गुरुनाम ले जो आठों याम 
उसके कटते क्लेश तमाम 
शीतल करे जैसे गंगा की धारा......

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